सत्र संचालन
सत्र की शुरुआत प्रतिभागियों के प्रस्तुतीकरण से होगी।
प्रशिक्षक सभी की अनिवार्य उपस्थिति को कहेगा ताकि अपने मॉडल निर्माण में किसी प्रतिभागी को कोई दिक्कत आ रही हो तो वह दूसरे की प्रस्तुति से संकेत लेते हुए अपने प्रारूप में बदलाव कर सके।
प्रशिक्षक ध्यान दें
हर प्रतिभागी को अपनी प्रस्तुति को लिखित रूप में जमा करवाना होगा। प्रशिक्षक हर एक प्रस्तुति पर अपना नोट लेगा जिसके आधार पर डीब्रीफिंग होनी है। अगर एक दिन के पूरे सत्र में प्रस्तुतियां पूरी नहीं हो पाती हैं तो वे दूसरे दिन भी जारी रहेंगी।
प्रशिक्षक डीब्रीफिंग
डीब्रीफिंग प्रस्तुतियों के दौरान लिए गए नोट्स के आधार पर की जाएगी। यदि प्रस्तुतियां बाकी हों, तो डीब्रीफिंग में बचे हुए प्रतिभागियों से अनुरोध किया जाएगा कि वे दिन की कार्यवाही से निकले बिंदुओं के आधार पर अपने मॉडल को और बेहतर बनाने की कोशिश करें।
अगर शाम तक सभी प्रतिभागियों की प्रस्तुति हो जाती हैं तो प्रशिक्षक डीब्रीफिंग के दौरान प्रतिभागियों का उन गतिविधियों पर भी ध्यान दिलवाए जहां सीखना सिखाना प्रशिक्षण कक्ष के बाहर की प्रक्रियाओं पर निर्भर है। यह गतिविधियां कई तरह की हो सकती हैं। जैसे नुक्कड़ नाटक का आयोजन, सभा बुलाना, गीत मंडली द्वारा जन जागृति, साइकिल यात्रा, फिल्म फेस्टिवल, विचार गोष्टी, प्रदर्शनी, जन सभाएं इत्यादि। अगर ये बिंदु प्रतिभागियों के प्रस्तुतीकरण के दौरान न उभरे हों तो आप अपनी ओर से इन बिंदुओं पर सुझाव दें।
चर्चा के दौरान उन गतिविधियों की सूची बनाएं जो मॉडल में शामिल की गई है। यहां चर्चा इस बात पर बढ़ाई जानी चाहिए की विभिन्न गतिविधियों में कहां तक तालमेल है और उनके आयोजन के दौरान कौन-कौन सी विषय वस्तु को समाहित किया जाएगा। गतिविधियां कितने दिनों की है, कितने गांवों में इन गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा, विभिन्न गतिविधियां कितने अंतराल पर आयोजित की जाएगी, क्या इन गतिविधियों में गांव के सभी लोगों (महिला, पुरुष, बच्चे, बुजुर्ग, युवा) को शामिल किया जाएगा; जैसे प्रश्नों पर प्रतिभागियों का ध्यान आकर्षित करें।
इससे आगे की चर्चा में प्रतिभागियों को यह स्पष्ट करें कि कैसे इन गतिविधियों के आयोजन के दौरान भी सीखने-सिखाने की प्रक्रिया अनवरत रूप से चलती है। उदाहरण के लिए कैसे नुक्कड़ नाटक, गीत मंडली, अभियान, प्रदर्शनी इत्यादि के आयोजन से भी सभी लोगों की सीखने-सिखाने और विश्लेषण की क्षमता बढ़ती रहती हैं।
इसके बाद इन गतिविधियों के आयोजनकर्ता के विभिन्न भूमिकाओं पर चर्चा करें और सहभागियों को यह समझाने में मदद करें कि कैसे इन प्रक्रियाओं के दौरान वे एक प्रशिक्षक की भूमिका अदा कर सकते हैं।