सत्र संचालन
इस सत्र में प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए प्रशिक्षक सबसे पहले यह सूचना देगा कि आगे के चार दिन हम ‘क्या करें’ पर विचार करेंगे। इस विचार को हमें अब तक किए गए दो अवकाश कार्यों और सीखे गए बिंदुओं के आलोक में गढ़ना होगा।
जैसा कि हमने पिछले सत्र में जाना, इस कार्यशाला में जिस तरीके से संवैधानिक मूल्यों को लागू किया गया वह प्रक्रिया अब सबके सामने है। हमने उस प्रक्रिया का सरलीकरण कर के उसके चरण भी देख लिए और अपने-अपने स्तर पर उन पड़ावों की पहचान भी कर ली कि हम में कहां बदलाव आया है। अब बिलकुल यही काम हमें यहां से बाहर जाकर अपने-अपने फील्ड में करना है।
स्वाभाविक है, हम अपने फील्ड में नए सिरे से जाएंगे तो पहला सवाल मन में यही आएगा कि ‘क्या करें?’ इसको हल करने के लिए सभी प्रतिभागियों को यह प्रस्ताव दिया जाता है कि वे संवैधानिक मूल्यों के प्रसार के लिए अपना एक विशिष्ट मॉडल बनाएं। यह काम समय लेने वाला है, इसलिए इस पर हाथ लगाने के पहले जरूरी है कि हम पहले चरण और दूसरे चरण के अवकाश कार्यों पर अपनी-अपनी प्रस्तुतियों को एक बार देखकर दुहरा लें और फिर खुद से कुछ सवाल पूछें।
प्रशिक्षक ध्यान दें
यहां पर प्रशिक्षक सभी प्रतिभागियों से एक बार स्पष्ट कर लेगा कि उन्हें अभ्यास समझ में आया है या नहीं। मॉडल बनाने का मतलब क्या है, इसे समझाएगा। मॉडल का मतलब है कि शैक्षिणिक हस्तक्षेप से पहले उसके विभिन्न चरणों, रूपों, संसाधनों, माध्यमों, तरीकों, उद्देश्यों एवं संदर्भ तथा विषय-वस्तु आदि को व्यवस्थित स्वरूप देना। उसके बाद प्रशिक्षक दोनों अवकाश कार्यों के प्रस्तुतीकरण का चार्ट सबके सामने लगा देगा ताकि उनमें दिए गए सवालों को सब दोबारा याद कर लें।
गतिविधि 1
दोनों अवकाश कार्यों के सवाल निम्न थे-
पहली अवकाश गतिविधि
- संवैधानिक मूल्य क्या समाज में दिखाई देते हैं?
- अगर हां, तो कहां और किन परिस्थितियों में? अपने अनुभव से उदाहरण दें। यदि नहीं, तो इसका भी उदाहरण दें।
- आम लोग कैसे इन मूल्यों को अपने जीवन में बरतते हैं या नहीं बरतते हैं, अनुभव से उदाहरण दें।
- संवैधानिक मूल्यों की पालना में क्या बाधाएं हैं?
दूसरी अवकाश गतिविधि
अपने कार्यस्थल, संगठन और समुदाय में (सत्र 16 में निकले) दस बिंदुओं के आधार पर संवैधानिक मूल्यों के प्रसार की योजना तैयार करें।
चूंकि दोनों अवकाश गतिविधियों के प्रतिभागियों के जवाब आगामी गतिविधि में काम आने वाले हैं, तो सभी प्रतिभागियों से ध्यान से अपनी प्रस्तुतियां याद करने को कहें और उनके आलोक में निम्न बिंदुओं की पहचान करने का अभ्यास दें –
- मेरा फील्ड (समुदाय/संगठन/समूह/कार्यस्थल) क्या है?
- क्या वह ग्रामीण/शहरी/कस्बाई है?
- मेरे प्रतिभागी कौन होंगे (सामाजिक प्रोफाइल)?
- मेरे प्रतिभागी ऐसे किसी प्रशिक्षण को कितना वक्त दे सकेंगे?
- मेरे प्रतिभागियों के लिए किस माध्यम से प्रशिक्षण उपयुक्त रहेगा या मैं किस माध्यम से प्रशिक्षण देना चाहूंगा (औपचारिक कार्यशाला/गीत/लेखन/नाटक/परचा/आंदोलन या अन्य कोई और)
- मेरा प्रशिक्षण स्थल कैसा है?
- मेरे प्रतिभागियों का शैक्षणिक स्तर क्या है?
- मेरे पास पाठ्य सामग्री/सहायक सामग्री के संसाधनों की स्थिति क्या है?
- क्या मेरा प्रशिक्षण आवासीय होगा?
- मेरे प्रतिभागी क्या एक ही जगह के होंगे या अलग स्थानों के? क्या उनके आने जाने के लिए संसाधन का खर्च मैं दे पाऊंगा?
ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनसे प्रशिक्षण का चरित्र उभर कर आएगा और हर प्रतिभागी एक प्रशिक्षक की नजर से देखने का अभ्यास कर सकेगा, कि फील्ड में उसके प्रशिक्षण की पूर्वस्थितियां क्या हैं।
पहली अवकाश गतिविधि के जवाब, दूसरी अवकाश गतिविधि के दस आधार बिंदु और ऊपर पूछे गए सवालों के जवाब मिलकर हर प्रतिभागी के प्रशिक्षण मॉडल का आधार तैयार करेंगे।
प्रशिक्षक इन तीनों के संबंध को जितना विस्तार से समझा सकेगा प्रतिभागियों को उतनी आसानी होगी।
ऊपर दिए गए सवालों के जवाबों की पहचान करने, उन्हें लिखने के लिए कम से कम एक घंटे का समय दिया जाना चाहिए।
जब सबके बिंदु तैयार हो जाएं, तब सदन के सामने रखकर उन पर सामूहिक चर्चा की जानी चाहिए ताकि किसी किस्म का कोई भ्रम न रहे और हर प्रतिभागी को अपने फील्ड की विशिष्ट स्थितियों का पता चल जाए।
प्रशिक्षक ध्यान दें
प्रशिक्षक समूह चर्चा के दौरान प्रतिभागियों को उनकी फील्ड की विशिष्ट स्थितियों पर रोशनी डालते हुए विभिन्न गतिविधियों के मॉडल बनाने की आवश्यकता एवं इसे बनाने की विधि पर जानकारी दें। किसी भी मॉडल बनाने के मुख्य चरण इस प्रकार हो सकते हैं-
- सीखने-सिखाने की आवश्यकता- समुदाय की पृष्ठभूमि एवं परिस्थिति
- आवश्यकताओं की प्राथमिकता तय करना
- आवश्यकताओं को चरणबद्ध करना
- उद्देश्यों का निरूपण
- विषय-वस्तु का निर्धारण- कितना और कितनी गहराई में, विषय का फोकस कहां होगा। (विषय वस्तु का निर्धारण करते समय ध्यान रखना चाहिए कि हमारी विषय वस्तु से सीखने वाले के बौद्धिक विकास के साथ-साथ उनके आचरण में अपेक्षित परिवर्तन का सूत्रपात भी कर सकें। साथ ही अपनी अवस्था में परिवर्तन में अपनी भूमिका बखूबी निभाने की क्षमता भी विकसित कर सकें)
- विषय वस्तु की क्रमबद्धता
- विधियों का चुनाव
किसी भी गतिविधि का मॉडल बनाते समय हमें उपरोक्त क्रमबद्धता को ध्यान में रखना होता है। इसके बाद प्रशिक्षक पिछले सत्र के आधार पर प्रतिभागियों को एक अभ्यास देगा।
सवाल: संवैधानिक मूल्यों के प्रसार के लिए अपना मॉडल तैयार करें। यह व्यक्तिगत अभ्यास होगा।
इस मॉडल के निर्माण के लिए प्रतिभागियों को अगली सुबह तक का समय दिया जाना चाहिए।
प्रशिक्षक डीब्रीफिंग
प्रशिक्षक इस सत्र के अंत में प्रतिभागियों को उनके मॉडल तैयार करने संबंधी जिज्ञासाओं पर बात करेगा और इस बात से आश्वस्त करेगा कि यह गतिविधि इसलिए की जा रही है ताकि वे समाज में जाएं तो उनके पास एक आजमाये हुए नुस्खे के आधार पर कुछ हाथ में रहे ताकि वे अपने सेटअप में उसे लागू कर सकें। प्रशिक्षक बताएगा कि अगली सुबह से हर प्रतिभागी के मॉडल की प्रस्तुति होगी और उस पर खुली चर्चा होगी।