सत्र संचालन
प्रशिक्षक पिछले सत्रों के अभ्यासों की याद दिलाते हुए प्रतिभागियों के साथ वर्तमान दौर की घटनाओं को राजनीतिक, आर्थिक और संस्थानिक बदलाव की तीन श्रेणियों में देखते हुए चर्चा की शुरुआत करेगा।
इसके लिए मौजूदा दौर की राजनीतिक घटनाओं, आर्थिक घटनाओं और संस्थानिक घटनाओं पर बात करते हुए उनके आपसी संबंध को खंगाला जा सकता है और तीनों समानांतर प्रक्रियाओं के बीच मूल्यों की हालत पर बात की जा सकती है। इसके लिए सूत्र के तौर पर वर्तमान स्थितियों को पूंजीवाद और लोकतंत्र के बीच रिश्ते के रूप में परिभाषित किया जाना बेहतर होगा।
यहां सवाल वही पुराना है कि स्वतंत्रता, समानता, न्याय और बंधुत्व के मूल्य इतना स्वाभाविक और सर्वग्राही होने से बावजूद लागू क्यों नहीं हो पाते हैं। पूंजीवाद और संवैधानिक मूल्यों के रिश्ते पर अगर हम नजर रखेंगे, तो आपको लगेगा कि आज की तारीख में गणतंत्र को हम जिस रूप में चाहते हैं वह आज के पूंजीवाद की जरूरतें पूरा नहीं करता है। पूंजीवाद 2001 की घटना को उदाहरण बना के हर जगह डेमोक्रेसी के पर कतरने में लगा हुआ है। सारे सुधार फेल हो जाने के बावजूद सरकारों को मजबूर किया जा रहा है कि वे उसे लागू करते रहें। इससे एक बात साफ हो जाती है कि गणतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखने और उसे बचाए रखने की जिम्मेदारी सभी चक्रों से लौट कर हम भारत के लोगों तक ही पहुंचती है। जनता सोचेगी, चाहेगी, तो यह बचेगा। अगर वह नहीं चाहेगी, कोशिश नहीं करेगी तो पूंजीवाद जिस तरह के लोकतंत्र को चाहता है वैसा ही होगा।
इसीलिए आज लोकतंत्र में राजनीतिक, आर्थिकी और संस्थानिक प्रक्रियाएं तीनों मिलकर अभिव्यक्ति और संवाद के दायरे को संकुचित करती जा रही हैं। जैसा कि हमने पहले सीखा, चूंकि अभिव्यक्ति और संवाद किसी भी लोकतांत्रिक राष्ट्र के निर्माण में सबसे बुनियादी चीजें हैं, तो सबसे गहरा हमला इसी पर हो रहा है। इसे हम आज राज्य का प्रवक्ता बन चुके मीडिया प्रतिष्ठानों और पत्रकारों पर हमलों के रूप में देख सकते हैं। इसे आप संवैधानिक अधिकारों की मांग करने वाले समूहों और कार्यकर्ताओं पर दमन के रूप में देख सकते हैं।
प्रतिभागियों के साथ इस चर्चा को इस सवाल तक लेकर आएं कि नागरिक अधिकारों के सिकुड़ते दायरे में संवैधानिक मूल्यों का प्रसार कैसे किया जा सकता है?
गतिविधि 1
सभी प्रतिभागियों के छोटे समूह बनाकर उन्हें इस सवाल पर पांच जवाब लिखने को दें:
सवाल: वर्तमान स्थितियों में संवैधानिक मूल्यों का प्रसार कैसे किया जाय?
इस गतिविधि के लिए पौन घंटे का समय हर समूह को दिया जा सकता है। प्रत्येक समूह उसके बाद अपनी प्रस्तुति करेगा। प्रशिक्षक हर समूह के बिंदुओं को बोर्ड पर लिखेगा।
गतिविधि 2
अब सभी समूहों से कहें कि वे साथ बैठकर अपने-अपने जवाबों को मिलाकर प्राथमिकता के आधार पर कुल दस बिंदु निकाल कर ले आएं, कि वर्तमान स्थितियों में संवैधानिक मूल्यों का प्रसार कैसे किया जाय।
इन दसों बिंदुओं को बोर्ड पर प्रशिक्षक लिख दे।
प्रशिक्षक ध्यान दें
उदाहरण के रूप में कुछ बिंदु ऐसे निकल कर आ सकते हैं:
- परिस्थिति का ठोस आकलन
- समान विचारधारा वाले लोगों की गोलबंदी
- क्षमता के अनुसार कार्यों (जिम्मेदारी) का वितरण
- लोगों से जीवन्त सम्बन्ध विकसित करना
- सूचना प्रसारित करने के नए तरीके
- जनता को जागरूक करना
- पहचान छुपाकर दीवार लेखन और संवाद के माध्यम से सरकार के निर्णय का विरोध करना
- सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक, फासीवाद विरोधी संगठनों से संवाद स्थापित करने के तरीके ईजाद करना, नेटवर्क का इस्तेमाल करते हुए संवाद/नारे/पर्चे/दीवार लेखन/सांस्कृतिक गतिविधियों का सामाजिक/राजनीतिक इस्तेमाल
- तकनीक में ओपेन सोर्स मंचों का इस्तेमाल
- जोखिम प्रबंधन की रणनीति तैयार करना
प्रशिक्षक इन बिंदुओं पर प्रतिभागियों के बीच सहमति निर्माण के उद्देश्य से संक्षिप्त चर्चा करवाएगा ओर यह सवाल उठाएगा कि यदि आप सब ने इन बिंदुओं को मिलकर पहचाना है, तो क्या आप वाकई संवैधानिक मूल्यों पर अपने समुदायों में इन तरीकों से काम कर रहे हैं?
अगर हां, तो अब तक के क्या परिणाम हैं और अगर नहीं, तो क्यों। इस पर सबकी राय लेने के बाद प्रशिक्षक अंतिम टिप्पणी करेगा।
प्रशिक्षक डीब्रीफिंग
इस चरण में हमने यह समझने की कोशिश की है कि कैसे हर दौर में मूल्य राजनीतिक, आर्थिक ओर संस्थानिक घटनाक्रमों से प्रभावित होते हैं। हम सब ने यह भी माना कि मौजूदा दौर संवैधानिक मूल्यों के लिहाज से बहुत संवेदनशील है और इन मूल्यों पर काम करना बहुत मुश्किल है। इसके बावजूद हमने खुद ऐसे दस तरीके खोज निकाले जिन पर काम किया जा सकता है।
अब सवाल उठता है कि इस सत्र में निकले निष्कर्षों को अपने समुदाय के बीच कैसे लागू करें। आप इस कार्यशाला से जब अपने-अपने क्षेत्र, संगठन, कार्यस्थल और समुदाय में जाएं तो ये दस बिंदु गांठ बांध लें। इन्हीं बिंदुओं पर आप अगले सत्र तक संवैधानिक मूल्यों के प्रसार का काम करें और अपने अनुभवों को एकत्रित करें। यह अभ्यास समूह में भी हो सकता है और व्यक्तिगत भी। यह प्रतिभागियों के चुनाव पर निर्भर करेगा कि आप संयुक्त रूप से किसी समुदाय/क्षेत्र में काम करना चाहेंगे या अकेले।
इसी काम के आधार पर हम अगले चरण और सत्र में बात को आगे बढ़ाएंगे और आप सब की समीक्षा करेंगे। साथ ही आपके सुझाए तरीकों की व्यावहारिकता और सफलता पर भी बात करेंगे।