औद्योगिक क्रांति से 1857 तक का घटनाक्रम
1679 | : ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति। |
1600-1757 | : ईस्ट इंडिया कम्पनी एक व्यापारिक निगम की भूमिका निभा रही थी। : हिंदुस्तान में जमीन से जुड़े सवाल शुरू से ही हल नहीं हुए। : बर्तानिया के आने से हिंदुस्तान में वाणिज्य और मनी लैण्डिंग पूंजी का विकास हुआ। : प्लासी की लड़ाई। |
1763-80 | : सन्यासी विद्रोह चला, जिसका नेतृत्व धार्मिक मठवासियों एवं बेदखल ज़मीदारों ने किया। विस्थापित किसानों की भागीदारी इस विद्रोह में बड़ी संख्या में हुई। |
18वीं सदी (मध्य) | : ब्रिटिश सूती कपड़ा उद्योग नई और उन्नत तकनीक के आधार पर विकसित होने लगा। |
1758-65 | : अंग्रेजों ने भारत से 60 लाख पौंड इंग्लैण्ड भेजा। |
1765 | : कम्पनी ने बंगाल की दीवानी हासिल की और बंगाल के राजस्व पर अधिकार कर लिया। |
1765-70 | : कम्पनी ने लगभग 40 लाख पौंड की रकम की वस्तुएं बंगाल से भेजी जो बंगाल के राजस्व का 33% था। |
1765-72 | : हिंदुस्तानी अधिकारियों को पहले की तरह ही काम करने दिया गया, पर ब्रिटिश गवर्नर और अधिकारियों का व्यापक नियंत्रण रहा। हिंदुस्तानियों के पास जिम्मेदारियां तो थीं पर अधिकार नहीं थे। इस दौर तक द्वयात्मक शासन रहा। : बंगाल के संसाधन कम्पनी के हाथ में आ गए। |
1766-72 | : चौरी विद्रोह बंगाल और बिहार के पांच जिलों में। |
1767 | : ब्रिटिश संसद ने कानून पास कर कम्पनी को ब्रिटिश खजाने में हर साल 4 लाख पौंड देने के लिए मजबूर किया। : मुक्त व्यापार के समर्थक एडम स्मिथ ने ईस्ट इंडिया कम्पनी के विशेषाधिकारों पर हमला किया। |
1773 | : कम्पनी के मामलों के सिलसिले में पहला महत्वपूर्ण कानून रेग्यूलेटिंग एक्ट लागू हुआ। इस एक्ट ने कम्पनी के निदेशक मंडल (कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स) के गठन में परिवर्तन किए और उनकी गतिविधियों पर नजर रखने का अधिकार ब्रिटिश सरकार को दे दिया। : हिंदुस्तान में बंगाल सरकार का संचालन गवर्नर जनरल और उसकी काउन्सिल को सौंपा गया। : रेग्यूलेटिंग एक्ट के अनुसार कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की। |
1784 | : पिट का इंडिया एक्ट कानून लागू हुआ। इस एक्ट में कम्पनी के मामलों और भारत में उनके प्रशासन पर ब्रिटिश सरकार को सर्वोपरि नियंत्रण का अधिकार दिया। |
1786 | : गवर्नर जनरल को सुरक्षा, शांति या भारत में साम्राज्य के हितों से संबंधित महत्वपूर्ण मामलों में अपनी काउन्सिल के निर्णय को न मानने का अधिकार दिया गया। |
1791 | : वाराणसी में हिंदू कानून और दर्शन के अध्ययन के लिए संस्कृत कालेज स्थापित। |
1793 | : न्यायिक संगठन (दीवानी और फौजदारी) व्यवस्था को स्थाई बना दिया। |
1793 | : स्थाई बंदोबस्त बंगाल, बिहार, उड़ीसा, वाराणसी में लागू। इसके अनुसार जमींदारों और राजस्व वसूल करने वालों को भू:स्वामी बना दिया गया। स्वामित्व के अधिकार को पैतृक और हस्तांतरणीय बना दिया गया। किसानों से उनके भूमि संबंधी परंपरागत अधिकारों को छीन लिया गया। इसके तहत- : हिंदुस्तान का बंदिशों के तहत औद्योगिक विकास- अ) औद्योगिक विकास ब्रिटिश पूंजी के नियंत्रण में ही होगा। ब) हिंदुस्तानी उद्योग बर्तानवी उद्योगों के साथ बराबरी में धन्धा नहीं कर सकते। स) बर्तानवी उत्पादकों के लिए हिंदुस्तानी बाजार में कोई दखलंदाजी नहीं करेगा। य) उत्पादन के तरीकों (मशीनों) को उत्पादित करने वाले उद्योगों का विकास नहीं किया जाएगा। : बर्तानिया ने भारत में तकनीकी खेती को प्रोत्साहित किया। : हिंदुस्तान में ब्रिटेन द्वारा नियुक्त प्रिंस और जमींदार लोग उनके एजेंट की तरह काम करने लगे। यही बढ़ती हुई देशी वाणिज्यिक और मनी लेंडिंग (ब्याज पर धन देना) पूंजी पर भी कुंडली मारे बैठे थे। |
1793-1816 | : दूसरा चौरी विद्रोह। |
1804-17 | : उड़ीसा के जमींदारों का विद्रोह। |
19 वीं सदी (आरम्भ) | : दक्षिण पश्चिम भारत (मद्रास, बम्बई) में रैयतवारी बंदोबस्त लागू हुआ। : गंगा की घाटी उत्तर पश्चिम प्रान्तों, मध्य भारत के हिस्सों और पंजाब में जमींदारी बंदोबस्त का संशोधित रूप महालवारी बंदोबस्त लागू किया गया। |
1800 | : कलकत्ता में फोर्ट विलियम कालेज की स्थापना। |
1805 | : बिलासपुर के राजपूतों का विद्रोह। |
1813 | : ब्रिटिश कपड़े का आयात 1 करोड़, 10 लाख पौंड मूल्य का था। जो कि 1856 में बढ़कर 63 करोड़ पौंड मूल्य का हो गया। : भारत के दरवाजे विदेशी वस्तुओं के लिए खोल दिए गए। उसके बावजूद भी भारतीय दस्तकारी उत्पादनों पर ब्रिटेन में प्रवेश करने पर भारी शुल्क देना होता था। : चार्टर एक्ट के अनुसार भारत में कम्पनी के व्यापार के अधिकारों को खत्म कर दिया गया तथा भारत के साथ व्यापार करने का अधिकार समस्त ब्रिटिश व्यापारियों को दे दिया गया। मगर चाय व चीनी का व्यापार केवल कम्पनी के लिए ही सुरक्षित रखा गया। |
1814-17 | : अलीगढ़ के तालुकदारों का विद्रोह |
1820 | : बंगाल में पहली बार कोयला खान का इस्तेमाल। (दूसरी बार कोयला खान 1854 में खुली।) |
1820-37 | : कोलों का आदिवासी विद्रोह। |
1824 | : पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटों का विद्रोह। |
1824-29 | : किट्टूर विद्रोह। |
1829 | : ब्रह्म समाज की स्थापना (धार्मिक संस्था)। |
1831 | : सुझाव दिया गया कि मद्रास में रेलवे का निर्माण हो। : विलियम बेंटिक ने अपील कर प्रांतीय अदालतों तथा क्षेत्रीय न्यायालयों को खत्म कर दिया। |
1833 | : चार्टर एक्ट ने चाय और चीनी के व्यापार पर कम्पनी के एकाधिकार को समाप्त कर दिया। : चार्टर एक्ट ने कानून बनाने के सारे अख्तियार कौंसिल की सहमति से गवर्नर जनरल को दे दिए। : लार्ड मैकाले ने भारतीय कानूनों को संहिताबद्ध करने के लिए एक विधि आयोग (ला कमीशन) नियुक्त किया। : पहले प्रांतीय सरकारों को जो काफी स्वायत्त थी अब उनके कानून पास करने के अधिकार को ले लिया गया। |
1834 | : भारत में भाप के इंजनों वाली रेलगाड़ियों को चलाने का प्रस्ताव इंग्लैण्ड में रखा गया। प्रस्ताव को इंग्लैण्ड के रेलवे प्रोत्साहकों, पूंजीपतियों, भारत के साथ व्यापार करने वाले व्यापारिक प्रतिष्ठानों तथा वस्त्र निर्माताओं का समर्थन मिला। तय हुआ कि भारतीय रेलवे का निर्माण और संचालन निजी कम्पनियां करेंगीं, जिन्हें भारत सरकार ने अपनी पूंजी पर कम से कम 5 प्रतिशत मुनाफा देने की गारण्टी दी। |
1835 | : भारत सरकार ने निर्णय लिया कि पाश्चात्य विज्ञानों तथा साहित्य को केवल अंग्रेजी भाषा के माध्यम से पढ़ाया जाएगा। : लार्ड मैकाले का मत था कि भारतीय भाषायें इतनी विकसित नहीं हैं कि इस उद्देश्य को पूरा कर सकें। |
1836-54 | : मोपला किसानों का केरल में विद्रोह। |
1837 | : लैन्ड होल्डर सोसाइटी की स्थापना। ये बंगाल, बिहार और उड़ीसा के जमींदारों की संस्था थी। : सूखा जनित अकाल। |
1838 | : भारत का पहला राजनैतिक संगठन (लैंड होल्डर्स एसोसिएशन) बंगाल में बना। |
1839 | : ग्रांड ट्रंक रोड कलकत्ता से दिल्ली तक का काम शुरू। |
1840 | : लार्ड एटनबरो, हाउस ऑफ लार्डस की सेलेक्ट कमेटी के अध्यक्ष ने माना कि ‘‘भारत से अब अपेक्षा है कि वह ब्रिटेन को थोड़े मूल्य में सैनिक सामानों के अलावा हर साल 20-30 लाख पौंड के बीच रकम भेजे।” |
1841 | : सतारा विद्रोह। |
1842 | : जबलपुर के बुन्देलों का विद्रोह। |
1843 | : बंगाल ब्रिटिश इंडिया की स्थापना। |
1848 | : स्टूडेंट्स लिटरेरी एंड साइंटिफिक सोसाइटी की स्थापना। |
1849 | : महाराष्ट्र में परमहंस मंडली की स्थापना। |
1850 | : असम, बंगाल, हिमाचल तथा दक्षिण भारत में चाय उद्योग का विकास। |
19वीं सदी के पूर्वार्द्ध की अन्य विशेषताएं | : नील, चाय और काफी उद्योग विकसित। : कैमिकल रंग के आविष्कार से नील उद्योग को धक्का लगा। : ब्रिटेन में सूत की कमी। : हिंदुस्तान में सूत का उत्पादन बढ़ा और कच्चे माल का मुख्य निर्यातक बना। |
1851 | : ज्योतिबाफुले और उनकी पत्नी ने बालिका विद्यालय खोला। इसमें जगन्नाथ सेठ और भाऊदाजी ने मदद की। : इस समय लैंड होल्डर सोसाइटी और ब्रिटिश इंडियन सोसाइटी दोनों संस्थाओं का विलय हुआ। फलस्वरूप 1852 में ब्रिटिश- इंडिया एसोसिएशन की स्थापना हुई। |
1853 | : बम्बई से थाणा तक पहली रेलवे लाइन यातायात के लिए खोली गई। : लार्ड डलहौजी ने रेलवे लाइनों का जाल बिछाने का प्रस्ताव रखा। जिसके तहत देश के विभिन्न अन्दरूनी भागों को बड़े बंदरगाहों के साथ जोड़ा गया। : पहली टेलीग्राफ लाइन कलकत्ता से आगरा तक चालू हुई। : लार्ड डलहौजी ने डाक टिकट प्रारम्भ किया। : अब तक नागरिक सेवा की सारी नियुक्तियां ईस्ट इंडिया कम्पनी के निदेशक करते रहे। : पहली कपड़ा मिल, कावसजी नानाभाई ने बम्बई में शुरू की। |
1854 | : शैक्षणिक विज्ञप्ति (एजूकेशनल डिस्पेच) का विकास हुआ। |
1854-1901 | : इस दौरान कुल मिला कर 2 करोड़, 88 लाख, 25 हजार से अधिक लोग अकाल में मरे। (1877, 1878, 1889, 1892, 1897, 1900 में भीषण सूखा जनित अकाल। |
1855 | : विद्यासागर ने विधवा पुनर्विवाह के पक्ष में आवाज उठाई। |
1855-56 | : संथालों का आदिवासी विद्रोह। |
1855 | : पहली जूट मिल रिश्रा (बंगाल) में स्थापित। |
1856 | : 43 लाख पौंड मूल्य का कपास, 8 लाख पौंड मूल्य का कपड़ा, 29 लाख पौंड मूल्य का अनाज, 17 लाख पौंड मूल्य की नील, 7 लाख, 70 हजार पौंड मूल्य का कच्चा रेशम निर्यात किया गया। : प्रतिबंध के बावजूद भारत से चीन अफीम भेजी गई। |
1856 | : उच्च जातियों का पहला कानूनी हिन्दू विधवा पुनर्विवाह कलकत्ता में 7 दिसम्बर को ईश्वर चंद विद्यासागर की देख-रेख में हुआ। |
1857 | : शक्तिशाली महा-विद्रोह उत्तर और मध्य भारत में भड़का। इसकी शुरूआत कम्पनी के सेना के भारतीय सैनिकों की बगावत से हुई। किसानों, दस्तकारों और सैनिकों ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई। : भारत में कम्पनी की फौज में 3 लाख, 11 हजार, 4 सौ सैनिक थे, जिसमें 2 लाख, 65 हजार,9 सौ भारतीय थे। अफसर सभी अंग्रेज थे। : कलकत्ता, बम्बई व मद्रास में विश्वविद्यालय स्थापित किए गए। प्रान्तों में शिक्षा विभाग स्थापित हुए। : कलकत्ता, बम्बई व मद्रास में केवल तीन ही मेडिकल कालेज थे और एक इंजीनियरिंग कालेज रूड़की में था। |