जस देखा तस लेखा : निजी अनुभव से सार्वभौमिक मूल्यों तक
उद्देश्य : मनुष्य में मूल्यों के बनने की प्रक्रिया को निजी जीवन-अनुभवों से समझना
8 सत्र, 17 गतिविधि, 1 अवकाश कार्य
सत्र 1 – आप कौन?
सत्र का खाका सत्र संचालन प्रशिक्षक प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला की औपचारिक शुरुआत करेगा। सत्र की शुरुआत से पहले प्रशिक्षक प्रतिभागियों को कार्यशाला संबंधित व्यवस्थाओं, जैसे- खाने का समय, परिसर के नियम तथा सत्रों के समय की जानकारी देगा। इसके बाद सभी प्रतिभागियों की सहमति से परिचय सत्र…
Read Moreसत्र 2 – पुरानी यादें
सत्र का खाका सत्र संचालन प्रशिक्षक इस सत्र की भूमिका को पिछले सत्र से ही उठाते हुए कहेगा कि हम इस बात को जान चुके हैं कि मूल्यों का लेना-देना मनुष्यों और मनुष्यों के समूहों से होता है, इसलिए लोगों के बीच रिश्ते इसमें कितनी अहमियत रखते हैं। जब हम…
Read Moreसत्र 3 – मैं कौन?
सत्र 3 का खाका सत्र संचालन सत्र 1 और 2 के आधार पर प्रशिक्षक अब तक सीखे गए का पुनरावलोकन करेगा। इस पुनरावलोकन के साथ बात को आगे बढ़ाते हुए अनुभव और मूल्यों के बीच में अनुभूति को ले आना है और यह समझाना है कि अनुभव सीधे मूल्यों में…
Read Moreसत्र 4 – सब मिले हुए हैं
सत्र 4 का खाका सत्र संचालन प्रशिक्षक याद दिलाएगा कि पिछले सत्र में हमने जाना कि कैसे एक मूल्य का ह्रास अकेले में नहीं होता, बाकी सारे मूल्य भी बराबर प्रभावित होते हैं। इस बात को थोड़ा और विस्तार से समझने के लिए प्रतिभागियों को एक खेल खेलना है। गतिविधि…
Read Moreसत्र 5 – बात की तमीज़
सत्र 5 का खाका सत्र संचालन प्रशिक्षक पिछले सत्र के पुनरावलोकन से इस सत्र को आगे बढ़ाएगा। पिछले सत्र में हमने जो सीखा उसे बिंदुवार याद कर लें- स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के संवैधानिक मूल्य परस्पर निर्भर हैं। किसी एक का ह्रास सिलसिलेवार सभी के ह्रास का कारण बनता…
Read Moreसत्र 6 – बहुत कठिन है डगर पनघट की
सत्र 6 का खाका सत्र संचालन प्रशिक्षक पिछले सत्र के सीखे गए बिंदुओं को दर्ज करते हुए पुनरावलोकन करेगा। प्रतिभागियों से दो गतिविधियां करवाई जानी हैं। पहली गतिविधि निजी होगी, दूसरी छोटे-छोटे समूहों में की जाएगी। दोनों गतिविधियों के लिए आधे से पौन घंटे का समय दिया जाना चाहिए। गतिविधि…
Read Moreसत्र 7 – दिल ही तो है
सत्र 7 का खाका सत्र संचालन पिछले सत्र का पुनरावलोकन करते हुए प्रशिक्षक प्रतिभागियों के समक्ष एक सवाल रखेगा कि यदि मूल्यों के हिसाब से समाज को गढ़ने का काम इतना कठिन है, तो बुद्ध, कबीर, नानक, गांधी, मंडेला, मदर टेरेसा, आंबेडकर आदि ने इस बात को अनुभव नहीं किया…
Read Moreसत्र 8 – क्या सीखा मैंने?
सत्र 8 का खाका सत्र संचालन यह सत्रांत का पड़ाव है। पहले चरण के इस आखिरी सत्र में प्रशिक्षक को सभी प्रतिभागियों से अब तक हुए चरणों और सीखे हुए पर फीडबैक लेना है। फीडबैक की गतिविधि व्यक्तिगत होनी है। सभी प्रतिभागियों को निम्न सवालों के जवाब लिखकर प्रस्तुति देनी…
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