पिछले कुछ वर्षों में संविधान की रक्षा का सवाल समाज में बहुत प्रमुखता के साथ उठ रहा है। समाज के जागरूक तत्वों को ऐसा महसूस होने लगा है कि संविधान खतरे में है। इसके कुछ आम गिनवाए जाने वाले लक्षणों में समाज में बढ़ती आर्थिक असमानता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन, धार्मिक सह-अस्तित्व का संकट, संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता का पतन और राज्य द्वारा धार्मिक बहुसंख्यकवाद का घोषित अंगीकार हैं।
इन चिंताओं का विश्लेषण करते हुए 2021 में पीस इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि संविधान की रक्षा का सवाल जमीन पर निष्पक्ष ढंग से कानून लागू करने या सभी तबकों के लिए वर्णित अधिकारों को सुनिश्चित किए जाने तक सीमित नहीं, बल्कि उससे कहीं आगे की चीज है। संविधान-रक्षा का सवाल बुनियादी रूप से इस देश के लोगों के जीवन में उन संवैधानिक मूल्यों को रोपे जाने के साथ जुड़ा है, जो भारतीय संविधान की प्रस्तावना में वर्णित हैं और भारत के लोगों द्वारा आत्मार्पित भी हैं। ये चार प्राथमिक मूल्य हैं- स्वतंत्रता, समानता, न्याय और बंधुत्व। ये वही मूल्य हैं जिन्हें हजारों साल से हमें तमाम धर्म और नीतिशास्त्र भी सिखलाते आए हैं।
इसी समझदारी के साथ 2021 के अगस्त में पीस ने संवैधानिक मूल्यों पर फेलोशिप-आधारित एक कार्यक्रम की पहल तीन राज्यों झारखंड, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में की। समाज के अलग-अलग समुदायों में संवैधानिक मूल्यों का प्रसार करने के उद्देश्य से तीन विधाओं- पत्रकारिता, कला व संस्कृति तथा सामाजिक और आर्थिक न्याय-में काम करने वाले कुल 26 फेलो का चयन किया गया। इसके पीछे विचार यह था कि ये 26 प्रतिभागी अपने-अपने समुदायों में जाकर सीखे हुए के आधार पर दूसरों को भी जागरूक करेंगे।
इस प्रक्रिया के दौरान इन प्रतिभागियों की संवैधानिक मूल्यों पर समझ और बोध को बढ़ाने के लिए कई कार्यशालाएं आयोजित की गईं। इस प्रक्रिया के समापन पर 2023 के अंत में पीस द्वारा संवैधानिक मूल्यों पर एक प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किया गया- “संवैधानिक मूल्य केंद्रित प्रशिक्षण दिशा निर्देशिका”। संवैधानिक मूल्यों पर समझ और बोध को बढ़ाने के लिए पठन सामग्री तैयार की गई।
समुदाय और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ निरंतर संवाद हमारे काम का मुख्य आधार है। संवैधानिक मूल्यों पर सरल भाषा में सामग्री एक जगह उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से पीस ने यह छोटा सा प्रयास किया है। संवैधानिक मूल्यों पर अपने अनुभव साझा करने के लिए हमें cv@peaceact.org पर लिखें।
‘पीस‘ के बारे में
पॉपुलर एजुकेशन एंड एक्शन सेंटर (पीस) प्रतिबद्ध और अनुभवी लोगों का ऐसा समूह है, जो स्थानीय एवं व्यापक स्तर पर सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया को मजबूत करने की दिशा में प्रयत्नशील है।
इस क्रम में जीवन यापन के लिए जूझ रहे व्यक्तियों एवं समुदायों और अपनी अस्मिता को बचाए रखने तथा जनतांत्रिक मूल्यों के लिए संघर्षरत जनसमूहों की जानकारी एवं ज्ञान में बढ़ोत्तरी करना पीस का मुख्य सरोकार रहा है। विगत कुछ वर्षों से पीस समान सोच वाले समूहों और जनसंगठनों के बीच संवाद की प्रक्रिया चला कर व्यापक स्तर पर चलने वाले जन आंदोलनों और गठबंधनों की प्रक्रिया को भी मजबूत करने हेतु प्रयत्नशील है।
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