सत्र संचालन
पिछले सत्र की प्रस्तुतियां यदि शेष हों तो उन्हें प्रशिक्षक जारी रखेगा, उसके बाद अगली गतिविधि पर आएगा। अगर पिछले दिन ही सारी प्रस्तुतियां पूरी हो गई हों तो प्रशिक्षक अगली गतिविधि पर आएगा।
समूह गतिविधि 1
सवाल: विधा आधारित समूहों में मॉडल तैयार करना।
प्रशिक्षक ध्यान दें
प्रशिक्षक सभी प्रस्तुतियों में से एक माध्यम वाली प्रस्तुतियां एकत्रित कर लेगा।
जैसे, यदि पांच प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण कार्यशाला के माध्यम से मॉडल बनाया है तो वह उन मॉडलों को एक साथ रखेगा। यदि तीन प्रतिभागियों ने नाटक के माध्यम से प्रशिक्षण मॉडल बनाया है तो उन्हें एक साथ रखेगा। इस तरह विधा आधारित प्रशिक्षण मॉडल को एक साथ लिया जाएगा।
इसके बाद इन चुने गए मॉडलों को तैयार करने वाले प्रतिभागियों के समूह बनाए जाएंगे।
मान लिया कि पांच प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण कार्यशाला चलाने का मॉडल बनाया है, तो उन पांच को मिलाकर एक समूह बना दिया जाएगा।
उसी तरह, अगर तीन ने गीतों के माध्यम से प्रशिक्षण देने का मॉडल बनाया है तो उन तीनों का समूह बना दिया जाएगा।
इस तरह प्रतिभागियों में विधा आधारित समूह तैयार किए जाएंगे।
सामूहिक मॉडल
प्रशिक्षक समूह निर्माण के पीछे कारण बताएगा कि एक ही विधा के प्रतिभागियों को अब अपने-अपने मॉडल को मिलाकर एक साझा मॉडल तैयार करना है। इस तरह हमारे पास विधा केंद्रित अलग-अलग मॉडल होंगे। निश्चित रूप से इन मॉडलों को मिलाकर एक साझा मॉडल बनाने में प्रशिक्षण स्थल, प्रतिभागियों की प्रकृति आदि को लेकर अंतर हो सकता है लेकिन यह समूह के विवेक पर है कि वह कैसे इस अंतर को पाटता है और न्यूनतम साझा सहमति पर पहुंचकर एक ऐसे मॉडल का निर्माण करता है जो समूह के सभी सदस्यों के बराबर काम आ सके।
इस प्रक्रिया में अपनी दिक्कतें सुलझाने के लिए सभी समूह एक दूसरे से परामर्श भी कर सकते हैं।
इसके बाद प्रशिक्षक सभी समूहों को घंटे भर के लिए विचार करने का समय देगा।
वापस हॉल में आने पर इस गतिविधि पर प्रशिक्षक सबके बीच में चर्चा करेगा, प्रतिभागियों की दिक्कतों पर बात करेगा और उन्हें सामूहिक मॉडल के अंतिम प्रारूप बनाने का पूरा समय देगा।
ये मॉडल लिखित रूप में अगली सुबह सभा के समक्ष प्रस्तुत होने चाहिए।
प्रशिक्षक डीब्रीफिंग
अगर पिछले दिन की प्रस्तुतियां शेष रही हों तो सभी प्रस्तुतियों के आधार पर यह डीब्रीफिंग होगी।
इसके अलावा, व्यक्ति से समूह तक जाने के तर्क को स्थापित करते हुए इसी कार्यशाला से उदाहरण लिया जा सकता है कि जब अलग-अलग पृष्ठभूमि से आने वाले इतने सारे प्रतिभागियों पर एक मॉडल काम कर सकता है तो समाज में अलग-अलग प्रतिभागियों को ध्यान में रखकर एक मॉडल क्यों नहीं बनाया जा सकता।
प्रशिक्षक एक बार फिर इस कार्यशाला में अपनाई गई प्रक्रिया को दुहराएगा, कि कैसे सभी प्रतिभागियों के बीच बराबरी लाने के लिए कौन कौन से चरण अपनाए गए थे और कैसे एक न्यूनतम साझा प्रारूप के आधार पर प्रशिक्षण चलाया गया। बिलकुल उसी तर्ज पर प्रतिभागी समूहों को अपने-अपने मॉडल को मिलाकर एक साझा मॉडल देना है।
इस गतिविधि के लिए अगली सुबह तक का समय दिया जाना चाहिए।