सत्र संचालन
नए चरण में प्रशिक्षक सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला की औपचारिक शुरुआत करेगा। सत्र की शुरुआत से पहले प्रशिक्षक प्रतिभागियों को कार्यशाला संबंधित व्यवस्थाओं, जैसे खाने का समय, परिसर के नियम तथा सत्रों के समय की जानकारी देगा। पिछले चरण के अंतिम सत्र में व्यवस्था पर आए फीडबैक के आधार पर जरूरत के अनुसार सभी प्रतिभागियों की सहमति से व्यवस्थापक समूह बनाए जाएंगे।
इसके बाद प्रशिक्षक बीते समय में प्रतिभागियों के जीवन-अनुभवों और अवकाश कार्य पर अनौपचारिक चर्चा करेगा। चर्चा का उद्देश्य यह होगा कि यदि कुछ प्रतिभागी पिछले चरण के अंत में दिए गए काम पर अपने अनुभवों को नहीं लिख पाए हैं तो वे उसे पूरा कर लें ताकि औपचारिक प्रस्तुति दे सकें। इस चर्चा का एक और उद्देश्य प्रतिभागियों की स्मृति को ताजा करना है ताकि लिखने में अगर उनसे कुछ छूट गया हो तो वे उसे जोड़ लें।
इसके बाद औपचारिक प्रस्तुति गतिविधि की शुरुआत की जाएगी।
गतिविधि 1
संवैधानिक मूल्यों पर पिछले चरण में निकाले गए निष्कर्षों के आधार पर समूह/समुदाय/क्षेत्र/संगठन में काम करने के अनुभवों की प्रस्तुति।
प्रशिक्षक ध्यान दें
प्रशिक्षक इन अनुभवों के कुछ ऐसे जरूरी बिंदु बोर्ड पर नोट करता जाएगा जो उसे आगे की चर्चा के लिए अनुकूल जान पड़ते हों। विशेष रूप से, काम में आने वाली बाधाओं को नोट करना जरूरी है।
प्रस्तुतियों के बाद नोट किए गए बिंदुओं पर प्रतिभागी चर्चा करेंगे और एक-दूसरे को बताएंगे कि उन्होंने अपने स्तर पर दिक्कतों का सामना कैसे किया। प्रशिक्षक इस चर्चा में मॉडरेटर की भूमिका तक खुद को सीमित रखेगा ताकि सवाल-जवाब और तर्क प्रतिभागियों की ओर से ही आएं। कुछ जरूरी जान पड़ने पर प्रशिक्षक उसे अपनी नोटबुक में दर्ज कर सकता है।
प्रतिभागियों की संख्या यदि ज्यादा हुई, तो प्रस्तुति में वक्त लग सकता है। हो सकता है यह गतिविधि एक से ज्यादा सत्रावधि तक खिंच जाए, इसलिए प्रशिक्षक को धैर्य के साथ सबको सुनना जरूरी होगा और चर्चा को पटरी पर बनाए रखना होगा।
प्रशिक्षक डीब्रीफिंग
डीब्रीफिंग में प्रस्तुति और चर्चा के दौरान प्रशिक्षक के लिए नोट्स काम आएंगे। इस डीब्रीफिंग का उद्देश्य है प्रतिभागियों के व्यक्तित्व और समझदारी में हुए विकास एक आकलन करते हुए कमजोर बिंदुओं को स्वस्थ तरीके से संबोधित करना, ताकि बचे-खुचे भ्रम भी दूर हो जाएं। यह डीब्रीफिंग प्रस्तुतियों पर ही निर्भर करेगी, इसलिए पहले से इसका कोई खाका संभव नहीं है लेकिन उद्देश्य स्पष्ट है, कि प्रशिक्षक इसके माध्यम से प्रतिभागियों में शुरू से लेकर अब तक आए बदलावों को लक्षित करेगा। इन बदलावों की पहचान अगले सत्र में काम आएगी।