संविधान की प्रस्तावना को आत्मार्पित करते हुए जब हम खुद को “हम भारत के लोग” कहते हैं, तो इसका आशय यह होता है कि स्वतंत्रता, समानता, न्याय और बंधुत्व वाले समाज की जिम्मेदारी हम से शुरू होती है। प्रत्येक नागरिक के लिए अपनी व्यक्तिगत जिंदगी, परिवार और उसके आसपास के माहौल में समानता, स्वतंत्रता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए सक्रियता से काम करना वांछित है, बल्कि स्वयंसिद्ध है। समानता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुत्व हमारे प्रमुख संवैधानिक मूल्यों के रूप में स्थापित किए गए हैं, लेकिन ये मूल्य मूलभूत मानवीय मूल्य भी हैं। संविधान की प्रस्तावना में इन मूल्यों के होने का मतलब है कि एक राष्ट्र के रूप में हम इन मूल्यों के साथ चलेंगे और इन्हें हमेशा बनाए रखेंगे। कानून निर्माण और व्यवस्था में हम इन मूल्यों को अंततः स्थापित करेंगे और एक नागरिक के रूप में हम इन्हें अपने और अपने आसपास के लोगों के जीवन में बनाए रखेंगे।
इसलिए इस संविधान और इसके मूल्यों की जरूरत हम सब को है। हम सब को, यानी उन सभी लोगों को जो भारत के नागरिक हैं। जो इस संविधान को किन्हीं वजहों से नहीं मानते, उन्हें भी संवैधानिक मूल्यों की जरूरत है क्योंकि ये मूल्य सार्वभौमिक हैं और मनुष्य की आंतरिक अच्छाइयों को उजागर करते हैं। इसलिए, हमारा संविधान अपनी मूल भावना में राष्ट्रीय सीमा में बंधा हुआ नहीं है। इसके संवैधानिक मूल्य ही इसे सार्वभौमिक और मानवीय बनाते हैं। कह सकते हैं कि समूची दुनिया और उसमें रहने वाले हर एक मनुष्य, यहां तक कि अन्य प्राणियों को भी स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय की जरूरत है।
इसलिए इस प्रशिक्षण मैनुअल की जरूरत सभी को है, खास तौर से उन लोगों को जिन्हें संवैधानिक मूल्यों पर केंद्रित काम करना है। इसकी विशिष्ट जरूरत उन समाजकर्मियों, पत्रकारों, संस्कृतिकर्मियों, स्वयंसेवी संस्थाओं और सरकारी-गैरसरकारी इकाइयों को है जिनके पास संवैधानिक मूल्यों पर काम करने का कोई पहले से तैयार और आजमाया हुआ खाका नहीं है।
प्रशिक्षण में प्रतिभागी कौन हो सकता है
- स्वतंत्र / पेशागत व्यक्ति
- सांगठनिक कार्यकर्ता
प्रशिक्षण का उद्देश्य क्या है
- संवैधानिक मूल्यों पर समझ का निर्माण करना
- प्रतिभागियों द्वारा संवैधानिक मूल्यों को आत्मसात करना
- संवैधानिक मूल्यों को समुदाय के स्तर पर मजबूत करने की रणनीतिक नियोजन पर साझा समझ विकसित करना
प्रशिक्षण का वांछित परिणाम
- स्वतंत्र एवं पेशेवर प्रतिभागी अपने घर-परिवार, निजी जीवन, समुदाय और कार्यस्थल में संवैधानिक मूल्यों का प्रचार-प्रसार करें, उन्हें बरतें और अपने पेशेवर कार्य को संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप संपन्न करें।
- संगठनों के कार्यकर्ता अपने घर-परिवार, निजी जीवन, समुदाय और संगठन में संवैधानिक मूल्यों का प्रचार-प्रसार करें, उन्हें बरतें और अपने संगठन के माध्यम से इन मूल्यों को समुदाय में ले जाकर सामुदायिक कार्रवाइयों में परिणत करें।
प्रशिक्षण की प्रविधि
- आनुभविक
- सहभागितापूर्ण
- संवादी
प्रशिक्षण स्थल
- प्रशिक्षण स्थल एक हरा, भरा और खुला परिसर हो।
- खाने-पीने को लेकर समय की पाबंदियां न्यूनतम हों।
- प्रशिक्षण सत्र की अवधि को लेकर समय की पाबंदियां न्यूनतम हों।
- आसपास ध्यान भटकाने वाले तत्व (नदी, पहाड़, समुद्र, बाजार, सिनेमाहॉल) न्यूनतम हों।
सहायक सामग्री
- किताबें
- परचे
- फिल्में
- अतिथि व्याख्यान
- चार्ट पेपर, कलम, प्रोजेक्टर, गतिविधियों में काम आने वाली सामग्री
- 1 बाल्टी और 3 गेंदें